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Saturday, October 29, 2011

उर्दू शायरी के आशिकों से चन्द बातें

उर्दू शायरी अपने अन्दर एक खास कशिश रखती है-यही वजह है हिंदी और दूसरी ज़बान बोलने वाले लोग भी बेसाख्ता इसकी तरफ आकर्षित होते हैं-उर्दू शायरी का इस्तेमाल आम आदमी से ले कर मीडिया, संसद और अदालतों तक पूरे जोर शोर से होता है-जिंदगी का शायद ही कोई पहलू ऐसा हो जो उर्दू शायरी का मौजू न बना हो-दूसरे लफ़्ज़ों में कहें तो उर्दू के शेर इंसानी जिंदगी के हर पहलू की तर्जुमानी करते हैं-उर्दू शायरी से मुहब्बत करने वाला हर शख्स चाहता है के उसके पास बेहतरीन शेरों का खज़ाना हो जिसे वह मुख्तलिफ मौकों पर लुटा कर अपनी ज़बान में असर पैदा कर सके-
उर्दू शायरी के लिए लोगों की यह दीवानगी उन्हें ऐसे तमाम ज़राय की तरफ ले जाती है जहाँ से शायरी के सोते फूटते हैं-मगर अक्सर उर्दू स्क्रिप्ट न जानने के सबब लोगों तक सिर्फ वह शायरी पहुँचती है जो मुशायरों,टी वी ,रेडियो वगैरा पर पढ़ी जाती है-ज़ाहिर है कि यह उर्दू शायरी के समंदर का एक छोटा सा हिस्सा है-और सब से बड़ी बात यह है कि audio visual मीडिया से पेश की जाने वाली शायरी कुछ शायरों को छोड़ कर अक्सर दूसरे या तीसरे दर्जे की शायरी होती है जिसे सुनने वाला उर्दू की अस्ल शायरी समझ लेता है-मगर जिन लोगों ने उर्दू स्क्रिप्ट सीख कर शायरी को बराह ए रास्त पढ़ा है वह जानते हैं कि उर्दू शायरी के समंदर के अस्ल मोती तो उन्हीं को मिलते हैं जो इसकी गहराई में ग़ोते लगते हैं-
इस साईट के क़याम का मकसद यही है कि हम अपने उन साथियों ,जिनकी मादरी ज़बान उर्दू नहीं है, ऐसी शायरी से रूबरू कराएं जो उर्दू की अस्ल और बड़ी शायरी कहलाती है-हम अपने मकसद में कहाँ तक कामयाब होते हैं ये जानने के लिए आप ज़रूरी है की आप अपनी बेलाग राए और तब्सेरों से हमें नवाज़ते रहें-

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